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श्रीमद्भागवत महापुराण

 

प्रश्न : गुरुदेव प्रसन्न होने पर क्या प्रदान कर सकते हैं?

उत्तर: प्रसन्न होने पर चिंतामणि केवल लौकिक सुख प्रदान कर सकती हैं , कल्प वृक्ष स्वर्गिक सुख प्रदान कर सकते हैं परन्तु गुरुदेव वैकुण्ठधाम भी प्रदान कर सकते हैं। 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय १ / श्लोक ८ 

260324-1 Video link: https://youtube.com/shorts/tYjg0kJeqRw



प्रश्न : हमारे पुण्यों का उदय हुआ है या नहीं, कैसे जाने?
उत्तर: जब धर्म ग्रन्थ के साधन (अध्ययन) में रूचि उत्त्पन हो जाये या फिर आनंद की अनुभूति होने लगे तब समझना चाहिए की जन्म जन्मांतर से अर्जित  पुण्य  का उदय हो चूका है। 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय १ / श्लोक १२ 




प्रश्न : श्रीमद्भागवत पुराण का सप्ताह श्रवण का वर्णन सर्वप्रथम किनके द्वारा किया गया था?
उत्तर: भगवान ब्रह्मा के द्वारा महर्षि नारद को किया गया था।  

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय १ / श्लोक २२  

280324-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/CPG9CoI8pp8


प्रश्न : भक्ति के दो पुत्रों का नाम क्या है?
उत्तर: ज्ञान और वैराग्य 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय १ / श्लोक ४५  
संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय २ / श्लोक १८  




प्रश्न : श्री हरिकीर्तन के द्वारा फल की प्राप्ति कैसे?
उत्तर: जो फल तपस्या, योग, साधना  एवं समाधी से नहीं प्राप्त होता है वही फल श्रीहरिकीर्तन के द्वारा प्राप्त हो जाता है। 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय १ / श्लोक ६८     




प्रश्न : धन अर्जित करने के उद्देश्य से भगवत कथा वाचन वर्जित क्यों?
उत्तर: ऐसा करने पर भगवत कथा का सार ही नष्ट हो जाता है और मनवांछित फल नहीं मिल पता है। 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय १ / श्लोक ७१ 

310324-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/b1rSK5YGOmQ   



प्रश्न : अपात्र व्यक्ति के द्वारा जप और तप करने से कैसी धार्मिक हानि? 
उत्तर: अपात्र व्यक्तियों के द्वारा जप और तप करने के कारण जप और तप का सार ही निकल गया है।             

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय १  / श्लोक ७३     





प्रश्न : मोक्ष दूसरे किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर: ब्रह्म सायुज्य  

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय २  / श्लोक ४



प्रश्न : भगवान को वशीभूत करने का सुलभ तरीका क्या  बतलाया गया है?
उत्तर: भक्ति के द्वारा भगवान को वशीभूत किया जा सकता है।                     

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय २  / श्लोक १८




प्रश्न : भक्ति, ज्ञान और वैराग्य को अर्जित कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: जब भी श्रीमद्भागवत कथा होती है या फिर जिस क्षण आपके मन में श्रीमद्भागवत कथा का भाव उत्तपन होता है उसी समय वहां भक्ति , ज्ञान और वैराग्य स्वतः पहुंच जाते हैं।             

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ३  / श्लोक ९ 




प्रश्न : श्रीमद्भागवत महापुराण में कुल कितने स्कंद और श्लोक हैं?
उत्तर: स्कन्द - १२ , श्लोक - १८०००    

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ३  / श्लोक २६   



प्रश्न : श्रीमद्भागवत महापुराण को शुक्र शास्त्र के नाम से क्यों जाना जाता है?
उत्तर: श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान शुकदेव और महाराज परीक्षित के बिच संवाद है। भगवान शुकदेव महाराज परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करवाए थे।         

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ३  / श्लोक २७  


030424-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/kScArmVhFzQ    


प्रश्न : मृत्यु के उपरांत मनुष्य को बैकुंठ धाम की प्राप्ति कैसे?
उत्तर: जो व्यक्ति अंत समय में श्रीमद्भागवत कथा को श्रवण कर लेते हैं उनको मृत्यु के उपरांत वैकुण्ठधाम कि प्राप्ति होती है।              

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ३  / श्लोक ४०    




प्रश्न : श्रीमद्भागवत महापुराण का सप्ताह श्रवण अति विशिष्ट क्यों है?
उत्तर: जो फल तप, योग और समाधी से भी प्राप्त नहीं होती है वह सर्वांग रूप से सप्ताह श्रवण से सहज ही प्राप्त हो जाती है।          

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ३  / श्लोक ५०  


040424-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/DboA6llRnK0   


प्रश्न : श्रीमद्भागवत का दर्शन मात्र से ही पाप का नाश कैसे संभव है?
उत्तर: अगर कोई व्यक्ति श्रीमद्भागवत कथा का पाठ करने या श्रवण करने में सक्षम नहीं है उस परिस्थिति में श्रीमद्भागवत का दर्शन मात्र से ही पाप का नाश हो जाता है।                 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ३  / श्लोक ६३  

150424-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/kM1Jemzxaro 



प्रश्न : वे पांच दुष्कर्म कौन कौन से हैं जो महापाप की श्रेणी में आते हैं?
उत्तर: मदिरापान , ब्रह्महत्या , स्वर्ण कि चोरी, गुरुस्त्री गमन और विश्वासघात           

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ४  / श्लोक १३ 

090424-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/FF3ReatikUQ 


प्रश्न : आलौकिक सुख किनको प्राप्त होता है?
उत्तर: सुख न तो भगवान इंद्र को है और न ही चक्रवर्ती राजाओं को, सुख तो सिर्फ उनके पास है जिनको आत्मसंतोष है।           

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ४  / श्लोक ७५ 




प्रश्न : " यह मेरा है " ऐसा सोच धर्मशुन्यता का प्रतीक है । इसका धार्मिक असर क्या होता है?
उत्तर: यह मेरा है या इसके ऊपर मेरा अधिकार है, इस अज्ञान हो छोड़ना उत्तम है क्यों कि इस मोह या अज्ञानता के कारण नरक कि प्राप्ति होती है।               

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ४  / श्लोक ७६  

080424-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/szFYULV-o8M   



प्रश्न : गया श्राद्ध के उपरांत भी आत्मा की मुक्ति नही होने पर क्या करें?
उत्तर: अगर सैकड़ों गया श्राद्ध करने पर भी आत्मा कि मुक्ति नहीं हो रही है तब श्रीमद्भागवत का सप्ताह परायण सहायक बताया गया है               

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ५  / श्लोक ३२, ४०, ४१  

060424-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/X6Ija1f8rHI   


प्रश्न : श्रीमद्भागवत कथा का फल हरेक व्यक्ति को एक समान क्यों नहीं प्राप्त होता है?
उत्तर: श्रीमद्भागवत का सप्ताह श्रवण का फल सबको एक समान नहीं मिलता है क्यों कि सबका श्रवण और मनन अलग अलग होता है।                 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ५  / श्लोक ७१   



प्रश्न : वैदिक मंत्र किस परिस्थिति में अपना असर त्याग देते हैं?
उत्तर: जिस क्षण मन्त्रों के प्रति संदेह उत्तपन हो जाता है उसी क्षण मन्त्र अपना प्रभाव (असर) त्याग देते है।                 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ५  / श्लोक ७३   




प्रश्न : कौन सी परिस्थितियों में "नाश" समय से पहले हो जाता है?
उत्तर: आचारहीन कुल, अपात्र को दिया गया दान , अपात्र को कराया हुआ श्राद्ध का भोजन और  वैष्णवहीन देश        

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ५  / श्लोक ७४   




प्रश्न : प्रभु श्री कृष्ण अपने अवतार का अंत के उपरांत किस धाम को चले गए थे? 
उत्तर: प्रभु श्रीराम अपने अवतार के अंत होने पर साकेत धाम और श्री कृष्ण अपने अवतार के अंत होने पर गोलोक धाम को चले गए थे।                

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ५  / श्लोक ८६   

070424-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/bNu4Sryy_RY   


प्रश्न : श्राद्ध के समय श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का क्या लाभ है?
उत्तर: श्रीमद्भागवत का पाठ श्राद्ध के समय करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष नहीं लगता है।             

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ५  / श्लोक ९०   




प्रश्न : भगवतकथा श्रवण के लिए  नियम और अनुशासन का पालन कितना अनिवार्य ?
उत्तर: जिनसे जैसा नियम सध सके उनको वैसा ही कथा श्रवण करना चाहिए।                   

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ६  / श्लोक ४२    



प्रश्न : संतानोत्पति के निहित श्रीमद्भागवत कथा श्रवण का फल क्या है?
उत्तर: संतानोत्पति के निहित श्रीमद्भागवत कथा का साप्ताहिक श्रवण का फल अक्षय होता है।                  

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ६  / श्लोक ५२     



प्रश्न : महाराज परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कब कराया गया था? 
उत्तर: कलियुग के ३० वर्ष व्यतीत हो जाने के उपरांत भाद्रपद शुक्लपक्ष नवमी को भगवान सुकदेव महाराज परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करवाए थे। 

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ६  / श्लोक ९४  




प्रश्न : देवभक्तों को दंड देने का सामर्थ्य यमराज देवता में भी नही।
उत्तर: यमराज देवता अपने दूतों से कहते हैं कि हम औरों को ही दंड देने का सामर्थ्य रखते हैं, देव दूतों को नहीं।      

संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / अध्याय ६  / श्लोक ९९  

230424-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/DPdIMYKLIYs    



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