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पितृपक्ष : क्या करें क्या नहीं करें ? dos and don’ts during Pitripaksha - by Anuj Mishra

              SUBSCRIBE US ON YOUTUBE CHANNEL https://youtu.be/ADjbf3I1Fl8 संक्षिप्त ब्याख्या :   तर्पण : देवताओं, ऋषियों एवं पितरों को जल दान करके तृप्त करने की क्रिया।  श्राद्ध : श्र्द्धार्थमिदम श्राद्धम । पितरों के उद्देश्य से विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है, उसे ही श्राद्ध कहते हैं। पिंड : पितरों को खिलने वाला प्रसाद | पितृपक्ष का कालखंड : आश्विन कृष्णपक्ष प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक (१५ दिनों का ) | इस कालखंड में पितर हमसे मिलने पृथ्वीलोक में आते हैं और हमारे साथ ही रहते हैं | इसीलिए कोई नया काम की सुरुवात नहीं करते हैं क्यों की उस्समय हम अपना पूरा समय अपने पितर के साथ बिताते हैं | तर्पण /श्राद्ध कब करें : पितृपक्ष में प्रतयेक दिन और जिसदिन पिता का देहांत का तिथि है उसदिन ब्राह्मण भोज या फिर गायों को घास खिलाएं  | अगर पिता के देहांत का  तिथि नहीं पता हो तो अमावस्या के दिन करें | तर्पण /श्राद्ध कहाँ करें : अपने घर में या फिर धर्मस्थल में | इसको दिन में ही करना है | तर्पण क्यों करें?...