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सनातन धर्म की ९ निधियां - Nine Nidhis as per our Sanatan Dharma


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https://youtu.be/LWNyfYeHxsM


तीन गुण हैं जो हरेक मनुष्य में विराजमान होता है | किसी में कम तो किसी में ज्यादा | 

कौन कमाया है? कैसे कमाया है ? धन के इस्तेमाल कैसे हो रहा है ? ये सब मिलकर निधि के निर्माण होता है |


सत्व गुण : ये दूसरों के भलाई के बारे में सोचते हैं |

रज गुण: ये अपने भलाई के बारे में सोचते हैं| 

तम गुण : ये दूसरों की हानि के बारे में सोचते हैं|


सनातन धर्म की ९ निधियां

 

१. पद्म निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में सत्व गुण रहता है | यह निधि सात्विकता से कमाया हुआ होता है | इसका उपयोग दूसरों के लिए ही होता है | इसका प्रभाव सारे पीढ़ियों तक रहता है |

२. महापद्म निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में सत्व गुण की अधिकता रहती है | यह निधि सात्विकता से कमाया हुआ होता है | इसका उपयोग अपनी जरुरत पूरी हो जाने के बाद दूसरों के लिए होता है | इसका प्रभाव ७ पीढ़ियों तक रहता है | 

३. नील निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में सत्व तथा रज दोनों ही गुणों की प्रधानता होती है | यह निधि सात्विकता तथा ब्यवहारिकता दोनों से कमाया हुआ होता है | इसका उपयोग जितना अपने लिए होता है उतना ही दूसरों के लिए | इसका प्रभाव ३ पीढ़ियों तक रहता है |

४. मुकुंद निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में रज गुण की प्रधानता होती है | यह निधि ब्यवहारिकता से कमाया हुआ होता है | इसका उपयोग अपने लिए ज्यादा तथा दूसरों के लिए बहुत कम होता है | इसका प्रभाव १ पीढ़ी तक ही रहता है |

 ५. नंद निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में रज तथा तम दोनो ही गुणों की प्रधानता होती है | यह निधि ब्यवहारिकता के साथ साथ दूसरों को दुःख या धोखा देकर भी कमाया हुआ होता है | इसका कोई प्रभाव नहीं रहता |

६. मकर निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में तम गुण की प्रधानता होती है | यह निधि अब्यवहारिकता से कमाया हुआ होता है | इसका उपयोग दूसरों की हानि पहुंचाने में होता है |  

७. कच्छप निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में रज गुण की प्रधानता होती है | यह निधि किसी भी तरीके से प्राप्त होता है | इसका साधक अपनी संपत्ति को छुपाकर रखता है। न तो स्वयं उसका उपयोग करता है, न करने देता है।

८. शंख निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में रज गुण की प्रधानता होती है | यह निधि किसी भी तरीके से प्राप्त होता है | इसका साधक अपनी सम्पति को सिर्फ अपने लिए ही इस्तमाल करता है | अपने परिवार के लिए भी नहीं |

९. खर्व निधि: इस निधि से सम्पन ब्यक्ति में कब कौन सा गुण आ जाये नहीं बताया जा सकता है | वह किसी भी तरीके से धन कमा सकता है और कहीं भी इस्तमाल कर सकता है | कभी पूरा ही धन दान दे देगा तो कभी दान पूछने पर मारकर भगा भी देगा |  


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Anuj Mishra
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