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साष्टांग दंडवत / प्रणाम महिलाओं के लिए वर्जित क्यों ?

                            


ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्राम च पुस्तकं । वसुंधरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं । ब्राह्मण का गुदा, शंख, शालिग्राम भगवान, पुस्तक और स्त्री की छाती जमीन पर लगने से दोष होता है व धरती पर भार पड़ता है। साष्टांग प्रणाम : ८ / ६ अंगों युक्त होकर और जमीन पर सीधा लेटा जाता है प्रथम मत स + अष्ट + अंग प्रणाम = आठ अंगों के द्वारा प्रणाम दूसरा मत सष्ट + अंग प्रणाम = छह अंगों के द्वारा प्रणाम एक साथ कौन कौन से अंग के द्वारा प्रणाम / दंडवत पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यामुरसा शिरसतथा। मनसा वचसा दृष्टया प्रणामोअष्टाड्ग मुच्यते॥ १. सिर २. हाथ ३. पैर ४. हृदय ५. आँख ६. जाँघ ७. वचन ८. मन We love your comments and suggestions. Please visit our website for travel blogs and other related topics. Anuj Mishra https://www.drifterbaba.com/ Whatsapp / Call: +91 9900144384 #Sashtangpranam #sashtangdandwat #dandwat


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