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संध्या वंदन क्या है? कब करें? कैसे करें? ब्राह्मणो और साधु महात्मा के लिए अति अनिवार्य क्यों है?

 


संध्या वंदन सबके लिए अनिवार्य क्यों है ? संध्या वंदन कब करना है और किनको करना है ? संध्या वंदन कैसे करें ?

संध्या वंदन क्या है? संध्या वंदन दो शब्दों का मेल है | संध्या - इसका मूल शब्द संधि है जिसका मतलब होता है मिलाप , जुड़ाऊ इत्यादि वंदन - वंदना करना , आराधना करना , प्रार्थना करना संध्या वंदन कब करें ? हमारे धर्म ग्रंथो में त्रिकाल संध्या का वर्णन है १. प्रातः संध्या - इसमें रात्रि और दिन के मिलाप का समय | न तो रात्रि का अंत हुआ है और न ही दिन की शुरुआत | २. मध्यायन संध्या - इसमें सूर्य का आरोहण (चढ़ाओ) और अवरोहण (उत्तार ) के मिलाप का समय | ३. शायम संध्या - इसमें दिन और रात्रि के मिलाप का समय | न तो दिन का अंत हुआ है और न ही रात्रि की शुरुआत | संध्या वंदन क्यों करें ? इसे करने से शरीर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होता है | संध्या वंदन किनको करें ? अपने इष्ट देव का परन्तु संध्या भगवन सूर्य से जुड़ाव रखता है इसलिए लोग सूर्य आराधना करना उत्तम मानते हैं | संध्या वंदन कैसे करें ? आप जिस तरीके से भी अपने इष्ट देव को प्रशन्न कर सकते है जैसे मन्त्रों के द्वारा, तंत्रों के द्वारा, गायन के द्वारा, सेवा के द्वारा, वादन के द्वारा, योग और साधना के द्वारा इतयादि द्वारा अनुज मिश्रा +91 9900144384

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