प्रश्न : ऋषी ऋण, देव ऋण और पितृ ऋण से उद्धार कैसे?
उत्तर: ब्रह्मचर्य से ऋषि ऋण, यज्ञ से देव ऋण तथा पुत्रोत्पत्ति से पितृ ऋण से उद्धार होते हैं ।
संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / षष्टम स्कन्द / अध्याय ५ / श्लोक ३७
100525-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/eqAmsFQKl0g
श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित अन्य प्रश्नोत्तरी के लिए क्लिक करें
द्वारा
अनुज मिश्रा
Comments
Post a Comment
We welcome your comments and suggestions.