प्रश्न : अनजाने से किए हुए अमृतपान भी फलदाई ही होता है।
उत्तर: जैसे अनजान में उच्चारण करने पर भी भगवान का नाम अपना फल देकर ही रहता है वैसे ही अगर कोई अमृत को बिना उसके गुण जाने पी ले तो भी उसको आवश्य ही अमर बना देता है।
संदर्भ : श्रीमद्भागवत महापुराण /प्रथम खंड / षष्टम स्कन्द / अध्याय २ / श्लोक १९
030525-1 Video Link: https://youtube.com/shorts/1LpsLk4yRsw
श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित अन्य प्रश्नोत्तरी के लिए क्लिक करें
द्वारा
अनुज मिश्रा
Comments
Post a Comment
We welcome your comments and suggestions.