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शिव वास ज्ञात कैसे करें ? रुद्राभिषेक में शिव वास की गणना क्यों अनिवार्य है ?

 शिव वास ज्ञात कैसे करें ? रुद्राभिषेक में शिव वास की गणना क्यों अनिवार्य है ?

तिथिं च द्विगुणी कृत्वा पुनः पञ्च समन्वितम । सप्तभिस्तुहरेद्भागम शेषं शिव वास उच्यते ।। शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से पूर्णिमा को 1 से 15 और कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तक 16 से 30 मान दें। इसके बाद जिस भी तिथि के लिए हमें देखना हो उसे 2 से गुणा करें और गुणनफल में 5 जोड़कर उसे 7 से भाग दें। शेषफल के अनुसार शिव वास जानें। शिव वास का फल: 1 – कैलाश में : सुखदायी 2 – गौरी पार्श्व में : सुख और सम्पदा 3 – वृषारूढ़ : अभीष्ट सिद्धि 4 – सभा : संताप 5 – भोजन : पीड़ादायी 6 – क्रीड़ारत : कष्ट 0 – श्मशान : मृत्यु

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द्वारा अनुज मिश्रा


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